Breaking News

डॉक्टर बाबासाहेब आंबेडकर की देशभक्ति प्रेरणा लेने योग्य-- भाजपा जिलाध्यक्ष राजू बाथम

डॉक्टर बाबासाहेब आंबेडकर की देशभक्ति प्रेरणा लेने योग्य-- भाजपा जिलाध्यक्ष राजू बाथम

शिवपुरी ब्यूरो - भारत रत्न बाबासाहेब डॉक्टर अंबेडकर के मूल विचार प्रगतिशील बुद्धिजीवियों ने जानबूझकर जनता से छुपाए हैं ।इसीलिए बाबासाहेब के अनुयायी भी विभिन्न विषयों में बाबासाहेब के योगदान से आज तक अपरिचित बने हुए हैं। इसीलिए निहित स्वार्थी तत्व ऐसे विचार भी वर्तमान में व्यक्त करते देखे जा रहे हैं, जो डॉक्टर अंबेडकर के विचारों के विपरीत हैं। इसी कारण कुछ तो डॉक्टर अंबेडकर का नाम लेकर अब हिंदुत्व विरोधी बयान भी देते हुए देखे जाते हैं। और दलित-मुस्लिम मोर्चा बनाने की बात भी बेझिझक आज कर रहे हैं। डॉक्टर अंबेडकर को भारत की प्राचीन धरोहर सभ्यता व संस्कृति का पूर्ण ज्ञान था ।उन्होंने रूढ़िवादिता का विरोध किया एक ओर ईसाई का तो दूसरी ओर मुस्लिम समुदाय के मजहबी कट्टरवाद से प्रेरित राजनीति का भी विरोध किया ।इसीलिए उन्होंने जीवन पर्यंत समाज में जातीय भेदभाव समाप्त करने के लिए सतत प्रयत्न ही नहीं किए बल्कि तत्कालीन आजाद भारत के पूर्व विदेशी शासकों को भी अपनी बौद्धिक क्षमता व संघर्ष शैली से हिला कर रख दिया था। बाबासाहेब को भारत के हितों की रक्षा की चिंता थी, इसीलिए उन्होंने ईसाई मिशनरियों, कट्टरवादी मौलवियों और हैदराबाद के निजाम द्वारा दिए गए प्रलोभन को भारत के हितों के विरुद्ध मानकर ठुकरा दिया था।
       बाबासाहेब शताब्दी के उन गिने-चुने भारतीय विद्वानों, साहित्यकारों, राजनीतिक, सामाजिक नेताओं में से एक थे जिन्होंने विशाल देश में लोकतंत्र और सर्व पंथ, सामाजिक सद्भाव पर आधारित कानून व्यवस्था का कीर्तिमान स्थापित किया था ।समता व सामाजिक समरसता से युक्त भारत हो, वे सदैव ऐसा सपना हृदय में संजोए रखते थे।
         बाबासाहेब ने अपने बलबूते पर अपनी श्रेष्ठता व लक्ष्य प्राप्त किए और अपने आपको कुशल नेतृत्वकर्ता भी सिद्ध किया। अंतिम छोर का व्यक्ति उठ खड़ा हो यही उनके कार्य क्षेत्र व जीवन का लक्ष्य सदैव बना रहा स्वतंत्रता के कई दशक बाद उन्हें भारत रत्न मिला, जिसके असली हकदार वे दशकों पूर्व थे । जहां तक उनकी योग्यता की बात है, तो स्वतंत्र भारत के प्रथम मंत्रिमंडल में वे शामिल रहे, लेकिन वहां पर असहज महसूस करने पर, उस पद को भी उन्होंने ठुकरा कर पुनः अंत्योदय के उत्थान में अपने आपको झोंक दिया।
         बाबासाहेब सामाजिक विकृतियों के चिकित्सक भी थे ।तत्कालीन हिंदू समाज में व्याप्त कुरीतियों, छुआछूत से वे व्यथित थे, लेकिन वे विचलित नहीं हुए उन्होंने सदैव प्राणी मात्र के उत्थान की बात कही  तथाकथित पाखंडी व्यवस्था का उन्होंने सदैव तर्क के आधार पर विरोध किया।
         5 फरवरी 1950 को संविधान सभा की बैठक में उन्होंने कहा था"अपने समाज में किसी प्रकार की फूट पुनः हमसे स्वराज को छीन लेगी । शताब्दियों की गुलामी के परिणाम स्वरूप हमें कुछ विकृतियां ,ऊंच-नीच भेदभाव, आर्थिक विषमता, पिछड़ापन, जातिवाद आदि उत्पन्न हुए हो सकते हैं,  परंतु इसे अपना हथियार बनाकर कोई विदेशी हमारे स्वत्वों का अपहरण करना चाहेंगे तो, हम उसे सहन नहीं करेंगे। बाबा साहब चाहते थे पीड़ितों को भी ऊपर उठने के समान अवसर मिलें। भारत देश भी समानता का प्रतीक बने ।राष्ट्रीयता और राष्ट्र को उन्होंने सबसे ऊपर रखा।
        राजनीतिक कार्यकर्ताओं से उन्होंने कहा था"तुम लोगों ने समझा होगा कि नेता बनना बहुत आसान है, लेकिन मेरे अनुभव के अनुसार वह एक कठिन कार्य है ।मेरा कार्य तो दूसरों की तरह का नहीं। जब मैंने इस आंदोलन को आरंभ किया तो कोई संगठन नहीं था । सब कुछ स्वयं ही करना पड़ता था । संगठन का खर्चा भी मुझको ही वहन करना पड़ता था ।समाचार पत्र प्रारंभ करने ।उसे चलाने जैसे सर दर्द का काम मुझे ही संभालना था।" मूकनायक"बहिष्कृत भारत" "जनता" जैसी पत्रिकाओं की छपाई से लेकर सारा काम अपने सिर पर ही उठा लेता था । थोड़े में कहूं तो मुझे शून्य से ही सब कुछ सृष्टि करने का काम करना था।
       वर्तमान परिवेश में भारतीय जनता पार्टी के सभी कार्यकर्ताओं को भी आग्रह पूर्वक अनुरोध करता हूं कि बाबा साहब डॉक्टर भीमराव अंबेडकर प्रखर राष्ट्रभक्त के जीवन वृत्त से प्रेरणा लेकर कठिन से कठिन परिस्थितियों में सुलभ मार्ग कैसे खोजा जा सकता है, यह युक्ति सीखनी होगी। बाबा साहेब के विचार अंत्योदय का उत्थान और उनके बताए रास्ते पर हम सभी कार्यकर्ता एक साथ मिलकर चलेंगे तो  पिछड़े,आर्थिक रूप से विपन्न परिवारों की मदद करने में समर्थ हो सकेंगे। आज वैश्विक महामारी कोरोना से जूझने की शक्ति भी बाबा साहब के कठिन जीवन से प्रेरणा लेकर हमें सेवा वृत के रूप में अपनानी  होगी । आइए हम सब बाबासाहेब की जयंती के अवसर पर, उनके जीवन से प्रेरणा लें और राष्ट्र को परम वैभव पर पहुंचाने के लिए कृत संकल्पित हों।

कोई टिप्पणी नहीं